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Friday, December 26, 2025
HomeBreaking Newsमैं आकाशवाणी भोपाल हूं…साढ़े छह दशकों से आपके सुख दुख का साथी…!!

मैं आकाशवाणी भोपाल हूं…साढ़े छह दशकों से आपके सुख दुख का साथी…!!

संजीव शर्मा, समाचार संपादक सह संवाददाता, आकाशवाणी, भोपाल, मध्य प्रदेश।

Sanjeev Sharma, News Editor cum Correspondent, All India Radio, Bhopal, Madhya Pradesh.
मैं, आकाशवाणी भोपाल हूं। हमारे राज्य मध्य प्रदेश का बड़ा भाई…वैसे तो हम जुड़वा भी हो सकते थे लेकिन मप्र की स्थापना से महज एक दिन पहले मैं अस्तित्व में आ गया। शायद, हमारे प्रदेश के जन्म और फिर इसकी विकास यात्रा से आप सभी को रूबरू कराने के लिए मुझे जुड़वा की बजाए चंद घंटे ही सही बड़ा बनना पड़ा। बस, तब से हम साथ साथ अपने अपने सफर पर हैं। आमतौर पर छोटा प्रगति करे तो बड़े को ईर्ष्या होने लगती है लेकिन हमारा मामला अलग है। हम कुछ कुछ अकबर बीरबल या फिर विजयनगर साम्राज्य के कृष्णदेव राय और तेनालीराम जैसे हैं। मेरा काम राज्य के लोगों का मनोरंजन करने के साथ सही गलत की जानकारी देना भी है। एक दौर था जब मेरी तूती बोलती थी। मेरे मुंह से अपना नाम सुनने के लिए नेताओं और कलाकारों की लाइन लगी रहती थी।आम लोगों की दिनचर्या का मैं अटूट हिस्सा था। रेडियो के सबसे लोकप्रिय श्री रामचरित मानस गान की शुरुआत का श्रेय मुझे ही जाता है। तो, फ़ोन इन कार्यक्रम को लाइव प्रसारित कर आपके पसंदीदा और फरमाइशी कार्यक्रम प्रस्तुत करने की शुरुआत भी मैंने ही की थी। मेरे सुरीले कंठ से निकले गीत, समसामयिक कार्यक्रम और बिना किसी मिलावट की खबरें प्रदेश के लोगों के लिए सूचना,शिक्षा और मनोरंजन का एकमात्र जरिया थे। बहुजन हिताय बहुजन सुखाए के आदर्श वाक्य की कसौटी पर खरा उतरते हुए मैने विश्वनीयता और भरोसे की ऐसी मिसाल कायम की है कि आज भी लोग आंख मूंदकर मेरी सूचना पर भरोसा करते हैं और इसके लिए मुझे अनेक पुरस्कार भी मिले हैं…आख़िर, इतने साल के सफ़र में आपका विश्वास और प्यार ही तो मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। हमने, यानि मैंने और मप्र ने अपने छह दशकों के सफर में तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं। मप्र ने 1 नवम्बर 1956 को जन्म लिया और मैने इससे एक दिन पहले 31 अक्तूबर 1956 को। मेरा जन्म भोपाल के बड़े तालाब के किनारे स्थित काशाना बिल्डिंग नाम की एक छोटी सी इमारत में हुआ था और आज श्यामला हिल्स पर पूरे गर्व और सम्मान के साथ मेरा परचम लहरा रहा है। मानवीय नजरिए से देखें तो हमें अब बूढ़ा होना चाहिए लेकिन संस्थान या राज्य के लिहाज से हम जवान हो रहे हैं और अपने कष्ट के दिन पीछे छोड़कर आधुनिकता की कुलांचे भर रहे हैं। मप्र की गाथा बताने वाले तो सैकड़ों हैं लेकिन आज तो आपको मेरी कहानी सुनाने का दिन है। पुराने किस्सों पर जाने से पहले आज की स्थिति जानना जरूरी है। अब मेरे परिवार में विविध भारती/एफएम, न्यूज ऑन एआईआर, डीटीएच और सोशल मीडिया सहित कई नए परिजन जुड़ गए हैं। अब मुझसे जुड़ने के लिए रेडियो सेट की अनिवार्यता खत्म हो गई है। आकाशवाणी भोपाल यानि मुझे आप न्यूज ऑन एआईआर ऐप के जरिए मोबाइल फोन में सुन सकते हैं और इसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने से आप मुझे सुन सकते हैं। डीटीएच डिस्क ने मुझे टीवी सेट से जोड़ दिया है मतलब आप टीवी पर भी मेरे कार्यक्रम सुन सकते हैं। एफएम के जरिए मैं आपकी कार का साथी हूं और हम आप लगभग रोज इसके माध्यम से जुड़े रहते हैं। सोशल मीडिया पर यूट्यूब से लेकर ट्विटर (अब एक्स) और फेसबुक तक मेरी मौजूदगी है। अब एक बार प्रसारित हो चुके समाचारों और कार्यक्रमो को आप बिना किसी की चिरौरी किए मेरे सोशल मीडिया पेज के जरिए सालों साल सुन सकते हैं। मैंने, अपने रुंधे कंठ से इतिहास के जघन्यतम भोपाल गैस काण्ड के पीड़ित परिवारों की दास्तां सुनाई है और उनके फिर उठकर खड़े होने की जिजीविषा भी। मैंने भोपाल को पुराने शहर से नए शहर का चोला बदलते भी देखा है और हबीबगंज को कमलापति स्टेशन बनते भी। मैंने दंगों की पीड़ा सही है तो सबसे स्वच्छ राजधानी का खिताब पाकर गर्व भी महसूस किया है। अपनी नई पीढ़ी की राष्ट्रीय अंतर राष्ट्रीय पटल पर उपलब्धियों को भी सबसे पहले मैंने ही सुनाया है तो इमरजेंसी की खबर भी मुझे ही देनी पड़ी है। पंडित रविशंकर शुक्ल से लेकर मौजूदा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान तक सत्ता के हर बदलाव का मैं आधिकारिक साक्षी रहा हूं। इस बार भी चुनाव की पल पल की सूचना मैं आप तक पहुंचा रहा हूं। अब भले ही सूचना के सैकड़ों झरने प्रदेश में कल कल बहने लगे हैं पर उनकी चीख पुकार और बेनतीजा बहसों से लोग ऊबने भी लगे हैं । इसलिए मैं अपनी मीठी आवाज,मधुर संगीत, सुकून भरे कार्यक्रमों और ख़ालिस,सटीक एवं विश्वसनीय खबरों के साथ साढ़े छह दशक बाद भी आपके साथ हूं,आपके आसपास हूं…क्योंकि मैं आपकी,अपने राज्य की और यहां के लोगों की सच्ची और अच्छी आवाज़ हूं तो सुनते रहिए आकाशवाणी भोपाल।
( लेखक संजीव शर्मा ने यह लेख आकाशवाणी भोपाल के स्थापना दिवस पर लिखा है, यह उनके निजी विचार हैं।)

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