Monday, June 30, 2025
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रीवा का बंगला पान कभी देश विदेश में बनता था लोगों के मूंह का स्वाद अब खोता जा रहा है अपनी पहचान।

रीवा जिले के मंहसांव का बंगला पान कभी भारत के कोने कोने के साथ ही पाकिस्तान श्रीलंका सहित कई देशों में लोगों के मुंह का स्वाद बना करता था वही पान अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। एक समय था जब मंहसांव क्षेत्र के ज्यादातर घरों में पान की खेती होती थी लेकिन गुटखा और पान मशाला के चलन में ये पान कंही खो से गए और इनकी पूछपरख कम हो गई। इसमें लगातार हो रहे घाटे के चलते पान की खेती करने वाले किसानो के पास अब रोजगार का भी संकट आ खड़ा हुआ है जिससे इसकी खेती करने वाले किसान काफी दुखी है।रीवा जिले के ग्राम मंहसांव सहित आसपास के गाँव में एक दौर ऐसा था जब घर घर में पान की खेती हुआ करती थी यंहा के चौरसिया समाज के किसानो का यह पुस्तैनी धंधा हुआ करता था जो उन्हें विरासत में मिलता था। यंहा का बंगला और जैसवारी पान विश्वप्रसिद्ध पान हुआ करता था जो लोगों की पहली पसंद हुआ करता था और लोग बड़े शौक से इसे खाते थे। ये पान भारत के कोने कोने में तो बिकता ही था उसके आलावा पाकिस्तान, श्रीलंका सहित और कई देशों में भी लोगों के मुँह का स्वाद बना करता था यंहा के किसानो का पान की खेती से घर चलता था यही इन किसानो का मुख्य धंधा हुआ करता था।बदलते दौर के चलते पान की खेती करने वाले किसान गुटखा संस्कृति का शिकार हो गए और इनके पान की जगह गुटखा और पान मसाले ने ले ली जिसके चलते पान की खेती करने वाले किसान अब इससे किनारा करने लगे है। यंहा का बंगला पान जो कभी देश विदेश में यंहा की पहचान हुआ करता था वो खुद अब अपनी पहचान खोता जा रहा है पान की खेती करने वाले किसानो के पास अब दूसरा कोई रोजगार नहीं है जिससे किसी तरह से मेहनत मजदूरी और दूसरा काम कर ये किसान अपना परिवार चला रहे है। कुछ किसान पान की खेती को बचाये रखने के लिए इसमें लगातार आ रहे घाटे के बावजूद अभी भी इसकी खेती कर रहे है। एक समय था जब पान की खेती करने वाले किसानो को पान की खेती से काफी फायदा होता था इसी से वो बच्चों का लालनपालन और पढाई लिखाई सहित पूरा घर चलाते थे लेकिन अब ये हालात है की इससे बच्चों की पढाई तो दूर किसी तरह से उनका घर चल जाए यही काफी है। पान एक ऐसी चीज है जो भगवान के पूजा सामग्री में भी काम आती है साथ ही इसका उपयोग शादी बारात में भी किया जाता है। शादी बारात में इसे खिलाना एक व्यवहार माना जाता है लेकिन अब समय का तकाज़ा है की शादी बारात में भी पान का उपयोग बहुत कम हो गया अगर पान की खेती का यही हाल रहा तो वो समय दूर नहीं जब यंहा का बंगला पान जो कभी देश विदेश में एक पहचान हुआ करता था वो खुद अपनी पहचान को मोहताज हो जायेगा। इन किसानो को अभी भी इस बात की उम्मीद है की शायद सरकार इस ओर ध्यान दे और पान की खेती को बढ़ावा दे जिससे यंहा का बंगला पान एक बार फिर देश विदेश में अपनी पहचान बना सके।

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