एकता का प्रतीक रहा है अलीपुरा – रानी लक्ष्मीबाई से सिंधिया घराने ने किया धोखा पर मुँहबोली बहन पर जान न्योछावर की थी अली बहादुर ने। इतिहास तो धर्म का निचोड़ है। अब अलीपुरा को हरिपुरा का नाम दे दे पर अलीपुरा नाम आखिर क्यों पढ़ा? (अलीपुरा निवासी पत्रकार देवेंद्र कुशवाहा की बेहतरीन रिसर्च के बाद रिपोर्टिंग)
अलीपुरा का इतिहास –
महाराजा छत्रसाल की बेटी और हिंदू हृदय सम्राट पेशवा बाजीराव की पत्नी मस्तानी के बेटे कृष्णा राव उर्फ शमशेर बहादुर के बेटे अली बहादुर जो बांदा के राज्य के राजा रहे उनके नाम पर बसा अलीपुरा। इतिहासकार बताते है कि बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना ओर छतरपुर छत्रसाल महाराज अर्थात बुंदेला राजाओं का आधीन था और बांदा एवं मैहर मराठा शासकों के अधीन था जिसकी कमान कृष्णाराव उर्फ शमशेर बहादुर के पास थी।मराठा साम्राज्य जब मुगलों पर हावी हुआ और महाराजा छत्रसाल,छत्रपति शिवाजी महाराज एवं पेशवा बाजीराव सहित सभी की सहमति से कृष्णाराव उर्फ शमशेर बहादुर को बांदा एवं मैहर की कमान सौंपी गई। कृष्णा राव और उसकी पत्नी मेहरम बाई का पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम था अलीबहादुर था।जिन्होंने अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी और उसी उपलक्ष्य में जब सेना एक जगह से दूसरी जगह उनका पड़ाव हुआ। उन जगहों को अलीपुरा नाम अलीबहादुर के नाम पर रखा गया। जिसमें एक गांव अलीपुरा महोबा जिले में स्थित है और दूसरा गांव अलीपुरा छतरपुर जिले में स्थित है।
झांसी की रानी का मुंहबोला भाई था अलीबहादुर
ये उसी अली के नाम पर है कि जब महारानी लक्ष्मी बाई झांसी की रानी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए दतिया ओरछा और ग्वालियर के हिंदू राजाओ से मदद मांगी तो इन्होंने अंग्रेजों के सामने लड़ने से मना कर दिया, फिर झांसी की रानी का मुह बोला भाई अली बहादुर पहुँचा और अंग्रेजों से लड़ते शहीद हो गया उसी के नाम से है अलीपुराराज्य की स्थापना 1757 में पन्ना राज्य के राजा अमन सिंह ने अलीपुरा शहर के आसपास की ज़मीन मुकुंद सिंह के बेटे अचल सिंह को देकर की थी, जो उस समय पन्ना के सरदार थे। रियासत 1808 में ब्रिटिश संरक्षित राज्य बन गई और इसे मध्य भारत की बुंदेलखंड एजेंसी का हिस्सा बना दिया गया।अलीपुरा के अंतिम प्रतिहार शासक ने 1 जनवरी 1950 को भारतीय संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।