कर्बला – इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक, कर्बला की जंग की तैयारियां 5 मोहर्रम की रात तक अपने चरम पर पहुँच चुकी थीं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके छोटे से काफिले से लड़ने के लिए 30,000 से अधिक यजीदी फौजी कर्बला के मैदान में जमा हो गए थे। क्रूर शासक यजीद की सेना के कमांडर उमर बिन साद भी अपनी 10,000 की फौज के साथ कर्बला पहुँच चुका था।
कूफा में यजीद का गवर्नर इब्ने जियाद उन लोगों को चुन-चुन कर कत्ल करवा रहा था, जो इमाम हुसैन के खिलाफ कर्बला जाने को तैयार नहीं थे। उसकी यह कार्रवाई उन लोगों में दहशत फैलाने के लिए थी, जो इमाम हुसैन के प्रति सहानुभूति रखते थे।
इधर, इमाम हुसैन के वफादार साथी हबीब इब्ने मजाहिर ने इमाम से इजाजत लेकर बनी असद की बस्ती में मदद मांगने के लिए गए। वे कुछ मददगारों को लेकर कर्बला लौट रहे थे, तभी 400 यजीदी फौजियों ने उन्हें घेर लिया। हबीब इब्ने मजाहिर और उनके साथियों ने रात भर उन यजीदी फौजियों से वीरतापूर्वक जंग की, जो उनकी निष्ठा और साहस का प्रतीक था। कर्बला की यह रात संघर्ष और जुल्म के बढ़ते साये की गवाह बन रही थी।