Wednesday, July 2, 2025
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DNA ANALYSIS: How China wants to earn profit by giving corona to the world? | DNA ANALYSIS: दुनिया को कोरोना देकर कैसे ‘मुनाफा’ कमाना चाहता है चीन?

नई दिल्ली: दुनिया पर आर्थिक महामंदी का साया मंडरा रहा है लेकिन एक ऐसा देश भी है जो इस आर्थिक मंदी का फायदा उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.  इस देश का नाम है चीन और आज हम आपको ये बताएंगे कि चीन कैसे इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है. 

कहते हैं इतिहास भविष्य के दर्पण की तरह काम करता है और इसी दर्पण में हमारा और आपका भविष्य कैद है. आज हम इतिहास की एक बहुत महत्वपूर्ण घटना को आधार बनाकर दुनिया के भविष्य की एक तस्वीर आपके सामने रखेंगे. ये तस्वीर कहती है कि आने वाले समय में पूरी दुनिया के मुकाबले चीन का पलड़ा बहुत भारी हो जाएगा और जब तक दुनिया के बड़े-बड़े देश Corona Virus को कंट्रोल करेंगे तब तक चीन दुनिया की अर्थ-व्यवस्थाओं को कंट्रोल कर चुका होगा. चीन दुनिया की अर्थ-व्यवस्था का CEO बन चुका होगा और हो सकता है कि आपकी तनख्वाह भी आपको चीन ही देने लगे. 

ये बातें आपको डरा रही होंगी लेकिन आज हम आंकड़ों, तथ्यों और इतिहास की मदद से चीन की इस आर्थिक साजिश का पर्दाफाश करेंगे. लेकिन उसके लिए पहले आपको वर्तमान स्थितियों को समझना होगा. 

Corona Virus की वजह से दुनिया की अर्थ-व्यवस्थाओं को करीब 300 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है और अभी ये नुकसान और बड़ा होने वाला है. लेकिन क्या Globalization के दौर में इस महामारी और महामंदी से किसी देश को फायदा भी पहुंच सकता है? इसका जवाब है कि बिल्कुल पहुंच सकता है.. बल्कि पहुंच ही रहा है. ये देश और कोई नहीं बल्कि चीन है, वही चीन जहां से इस Virus की शुरुआत हुई थी. पिछले 101 दिनों से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ICU में है और अब चीन इस मौके का फायदा उठाकर एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय शॉपिंग में जुट गया है जो उसे दुनिया का सबसे प्रभावशाली, ताकतवर और अमीर देश बना सकती है और चीन इस Shopping के दौरान सारे Dicount Offers पर नजर बनाए हुए है. 

चीन अब दुनिया के उन तमाम देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां बेहद सस्ते दामों में खरीदना चाहता है जिनकी अर्थ-व्यवस्थाओं की कमर इस महामारी ने तोड़ दी है. इतना ही नहीं चीन से शुरू हुआ ये Virus अब चीन के लिए वरदान बनता जा रहा है, जबकि दुनिया इसे अभिशाप मानकर इससे लड़ाई में जुटी है.

महामारी से जूझते देश, कैसे चीन के विस्तार-वाद के लिए उपजाऊ भूमि में बदल गए हैं, ये समझने के लिए आपको ढाई हजार वर्ष पीछे चलना होगा. 

आज से करीब ढाई हजार वर्ष पहले Greece का Athens यूरोप में शक्ति का केंद्र हुआ करता था, यानी Athens उस समय एक क्षेत्रीय महाशक्ति था. लेकिन  430 ईसा पूर्व एथेंस में एक महामारी फैल गई और इस महामारी से Athens राज्य के करीब 25 प्रतिशत लोग मारे गए , इनमें बड़े बड़े नेता, सेनापति और ताकतवर योद्धा भी थे. इसके कुछ समय बाद ही एक दूसरे शक्तिशाली राज्य Sparta ने Athens को चुनौती देना शुरू कर दिया. लेकिन महामारी की वजह से Athens की अर्थव्यवस्था और सेना की कमर टूट चुकी थी. जब Sparta और Athens के बीच युद्ध हुआ तो Athens इसमें हार गया और Sparta नई शक्ति बनकर उभरा.

हैरानी की बात ये है कि आज ढाई हजार वर्षों के बाद..यूरोप का वही इलाका एक बार फिर महामारी के केंद्र में है. यूरोप के शक्तिशाली देशों की अर्थव्यस्था चरमरा  चुकी है और चीन Sparta की तरह मौके की तलाश में है. 

लेकिन इसके लिए चीन सैन्य युद्ध नहीं बल्कि आर्थिक युद्ध की तैयारी कर रहा है. और चीन को यकीन है कि वो बिना एक भी गोली चलाए, दुनिया के शक्तिशाली देशों को घुटनों पर ले आएगा. 

अब हम चीन की इस योजना के बारे में आपको जो बात बताने जा रहे हैं वो आपको चिंता में डाल सकती है क्योंकि चीन ने अब दुनिया के कई अमीर देशों की अर्थ-व्यवस्थाओं को कंट्रोल करने के अपने Master Plan पर अमल करना शुरू कर दिया है.

उदाहरण के लिए स्पेन और इटली जैसे देश, जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, वहां चीन ने इस Virus के खौफ के बीच…मुनाफा कमाना भी शुरू कर दिया है. 

चीन पहले से ही इन देशों को बड़ी मात्रा में Medical उपकरण,  Masks और Ventilators बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा रहा है. लेकिन अब चीन ने यूरोप के बड़े बड़े देशों की बड़ी बड़ी कंपनियों को भी Take Over करने की योजना बना ली है और वो भी बेहद सस्ते दामों पर. 

व्यापार करना गलत बात नहीं है, लेकिन सवाल चीन की नीयत पर है क्योंकि चीन पूरी दुनिया में Virus फैलाने की जिम्मेदारी लेने की बजाय अब आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी कंपनियों को खरीदने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए चीन की नजरें अब यूरोप पर गड़ गई हैं.

कुछ अंतर्राष्ट्रीय Reports के मुताबिक, महामारी के इस दौर में यूरोपियन देशों के बड़े बड़े Global Bankers के पास ऐसी कई Requests आ रही हैं, जिनमें इन कंपनियों की कीमत पूछी जा रही है. 

इस संदर्भ में  सबसे ज्यादा पूछ-ताछ चीन की कंपनियों द्वारा की जा रही है. चीन की कंपनियां ऑस्ट्रेलिया में भी बड़े पैमाने पर निवेश करने की योजना बना रही हैं. 

अब इन देशों को डर ये है कि चीन की कंपनियां आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी कंपनियों को कौड़ियों के दाम खरीद सकती हैं. 

इन देशों की अर्थव्यस्थाएं बुरी हालत में हैं, कंपनियां सरकारों से आर्थिक मदद मांग रही हैं लेकिन सवाल ये है कि इस दौर में इतना पैसा आएगा कहां से और यही परिस्थितियां चीन के लिए सुनहरा अवसर बन गई हैं. 

आपको बता दें कि चीन की कई बड़ी कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें वहां की सरकार का पूरी समर्थन हासिल है. यानी ये कब्ज़ा चीन की प्राइवेट कंपनियां नहीं बल्कि खुद चीन की सरकार करना चाहती है. 

चीन की विस्तारवाद वाली नीयत से ये देश इतने डर गए हैं कि इस महामारी के बीच भी इन देशों में विदेश निवेश नियंत्रित करने के लिए नए कानून बनाए जा रहे हैं. 

उदाहरण के लिए इस हफ्ते सोमवार को इटली के प्रधानमंत्री ने कानून में दी गई Golden Powers का इस्तेमाल करने की बात कही है. इटली के कानून के मुताबिक  Golden Powers की मदद से सरकारें उन कंपनियों में विदेशी निवेश को नियंत्रित कर सकती हैं..जो रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होती हैं जैसे रक्षा क्षेत्र की कंपनियां वित्त से जुड़ी कंपनियां, बैंक, ऊर्जा और इंश्योरेंस कंपनियां और साथ ही स्वास्थ्य़ सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को भी इस श्रेणी में रखा गया है. 

इतना ही नहीं इटली की सरकार ने 400 बिलियन Euros यानी करीब 33 लाख करोड़ रुपए के एक Emergency Fund का भी ऐलान किया है, इस फंड की मदद से आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी कंपनियां सस्ती दरों पर लोन ले सकेंगी. 

इटली की तरह स्पेन भी  Foreign Direct Investement यानी FDI से जुड़े नए नियम लागू कर चुका है. FDI के नियमों से ही ये तय होता है कि किसी देश की कंपनियों में कोई विदेशी कंपनी कितने प्रतिशत तक निवेश कर सकती है. 

17 मार्च को स्पेन की सरकार ने ऐलान किया था कि यूरोपियन यूनियन के बाहर का कोई देश अगर स्पेन की किसी कंपनी में दस प्रतिशत से ज्यादा निवेश करना चाहता है तो उसे सरकार की अनुमति लेनी होगी. 

इसके अलावा स्पेन की सरकार ने Telecom, Energy, Defense और Technology Sectors की कई कंपनियों को भी अस्थाई तौर से Take Over कर लिया है जिनकी आर्थिक हालत Corona Virus की वजह से अच्छी नहीं हैं और इन कंपनियों पर चीन की भी नजर है. 

जर्मनी ने भी अपनी अर्थव्यवस्था को चीन से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं. नए नियमों के मुताबिक जर्मनी में सार्वजनिक महत्व से जुड़ी किसी स्थानीय कंपनी या व्यापार में विदेशी निवेशों की दोबारा से समीक्षा की जाएगी. 

साथ ही यूरोपियन यूनियन के बाहर की कोई विदेशी कंपनी अगर जर्मनी में कोई बड़ा निवेश करना चाहती है तो उसे सबसे पहले जर्मनी की सरकार से इसकी मंजूरी लेनी होगी. 

ऑस्ट्रेलिया में तो चीन की इन नीयत को लेकर राजनीति में भी शुरू हो गई है. वहां विपक्ष के कई सांसद इसे लेकर सरकार पर दबाव डाल रहे हैं ऑस्ट्रेलिया के Foreign Investment Review Board ने संकेत दिए हैं कि चीन समेत किसी भी देश को ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक हालात का फायदा उठाकर, महत्वपूर्ण कंपनियों को खरीदने की इजाजत नहीं दी जाएगी. 

हमने ऊपर ढाई हजार वर्ष पूर्व  Athens और Sparta के बीच हुए युद्ध का जिक्र किया था. ये युद्ध इसलिए हुआ क्योंकि Sparta एक उभरती हुई ताकत था और Athens कमजोर अर्थव्यवस्था और महामारी से जूझ रहा है.

इस युद्ध की कहानी इतिहास के जनक माने जाने वाले Thucy-dides (थ्यूसी-डिडस) ने अपनी पुस्तक History of the Pelopo-nnesian (पेल्पोनेशियन) War में लिखी थी. इसमें थ्यूसी-डिडस कहते हैं कि जब एक महाशक्ति के सामने दूसरी शक्ति उभरने लगती है तो दोनों के बीच युद्ध होकर रहता है. इसे Thucy-dides
Trap भी कहा जाता है. इस समय दुनिया भी इसी Trap में है. चीन उभरती हुई महाशक्ति है, लेकिन चीन दुनिया के देशों को युद्ध की धमकी नहीं दे रहा बल्कि वो बहुत सब्र के साथ..इस बात का इंतजार कर रहा है कि दुनिया की अर्थव्यस्था कमजोर होती रहे, दुनिया के देश Corona Virus को कंट्रोल करने में जुटे रहें और मौके का फायदा उठाकर चीन इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कंट्रोल कर लें. 

चीन की नजरें फिलहाल यूरोप के देशों और ऑस्ट्रेलिया पर हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भारत चीन की इन विस्तारवादी महत्वकांक्षाओं से सुरक्षित है. बल्कि सच तो ये है कि अर्थव्यवस्था की आड़ में भारत के लोगों की जिंदगियों को पहले से ही बहुत हद तक प्रभावित और नियंत्रित कर रहा है. आप बाजार से जितना सामान लाते हैं, उसमें एक बड़ी हिस्सेदारी चीन की है. आपके मोबाइल फोन से लेकर दीवाली की लाइटें तक चीन बनाता है और आप सुबह से लेकर शाम तक चीन द्वारा बनाए गए इन Products का इस्तेमाल करते हैं. चीन भारत में आर्थिक रूप से आक्रामक हुए कैसे भारत के करोड़ों लोगों की जिंदगियों को प्रभावित कर रहा है, ये आपको समझना चाहिए. 

इस बात की 67 प्रतिशत संभावना है कि इस वक्त जो मोबाइल फोन आपके हाथ में है वो एक Chinese Mobile Phone है. क्योंकि भारत में बिकने वाले 67 प्रतिशत मोबाइल फोन Chinese कंपनियों के ही हैं. इनमें  Xiaomi, Oppo, ViVO, Realmi और दूसरे Chinese Mobile Phone Brands शामिल हैं.  

इस बात की लगभग 22 प्रतिशत संभावना है कि जिस Internet Browser का आप इस्तेमाल कर रहे हैं वो भी एक Chinese Browser है. क्योंकि 22 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ चीन का UC Browser भारत का नंबर 2 इंटरनेट Browser बन चुका है.

इतना ही नहीं आपके Mobile Phone में जितनी Applications मौजूद हैं उनमें से भी करीब 44 प्रतिशत Applications के Chinese होने की पूरी-पूरी संभावना है.  Factor-Daily नाम की एक कंपनी की रिसर्च के मुताबिक भारत में इस्तेमाल होने वाले Top 100… Mobile Apps में से 44 चीन के हैं. 

मोबाइल फोन पर PUBG जैसा गेम खेलने वाले भारतीयों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा है  और आपको Gaming की लत लगाने वाला PUBG भी एक चाइनीज कंपनी Tencent द्वारा संचालित है. 
 
इस बात की भी पूरी संभावना है कि आप या आपके परिवार का कोई ना कोई सदस्य मशहूर Mobile App Tik-Tok पर जरूर होगा. Tik-Tok भी एक Chinese Mobile App है और भारत में लोकप्रियता के मामले में ये बडे-बड़े Social Media Platforms को पीछे छोड़ चुका है. Tik-Tok का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर युवा हैं और इनमें से ज्यादातर युवा देश के छोटे शहरों से आते हैं. 

Research Firm Sensor Tower के मुताबिक पूरी दुनिया में टिक टॉक के 165 करोड़ यूजर्स हैं और इनमें से सबसे ज्यादा यानी करीब 46 करोड़ यूजर्स भारत में हैं. भारत में Tik-Tok का इस्तेमाल करने वाले Users की संख्या इंस्टाग्राम के Users से भी ज्यादा हो चुकी है. 

इतना ही नहीं Paytm जैसे Online Payment App में भी चीन की कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी है. इस कंपनी की वैल्यू करीब 22 हजार करोड़ रुपए है और इसमें चीन की अली बाबा कंपनी की हिस्सेदारी करीब 45 प्रतिशत है. 

बच्चों को Online शिक्षा देने वाले Platform BYJU’S में भी  चीन की कंपनी TENCENT की हिस्सेदारी है. TENCENT, BYJU’S  में 350 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर चुकी है.  BYJU’S अब भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी को भी Sponser करती है. 

इसके अलावा चीन की कंपनी VIVO भारत में PRO-कबड्डी टूर्नामेंट की Sponsor है. यानी भारत के सबसे लोकप्रिय खेलों को भी अब चीन की कंपनियों द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है. यानी भारत के लोगों की खेल से जुड़ी भावनाओं का दोहन भी अब विदेशी कंपनियां कर रही हैं. इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट टीम की Sponsor एक चाइनीज मोबाइल फोन कंपनी..Oppo थी. 
 
इसी तरह Big Basket, Flipkart, Practo, PaisaBazar और Snapdeal जैसी कंपनियों में भी चीन की कंपनियों का भारी-भरकम निवेश है. ये सभी कंपनियां किचन के सामान से लेकर Online दवाईंयां और यहां तक की Insurance भी बेचती हैं. यानी चीन चाहें तो ये भी पता लगा सकता है कि आप घर में क्या खाते हैं, आप कितना कमाते हैं और आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को कौन सी बीमारी है.   

यानी चीन ने भारत से एक युद्ध आज से 58 वर्ष पहले जीता था. उसमें गोलियां भी चली थीं. खून भी बहा था और लोगों की जान भी गई थी. लेकिन अब चीन को ये सब करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारत के करोड़ों लोग आज चीन का चलता-फिरता उपनिवेश बन चुके हैं. यानी चीन चाहे तो आपकी वित्तीय स्थिति से लेकर आपकी सेहत, आपकी शिक्षा और यहां तक कि आपके खान-पान की आदतों का भी पता लगा सकता है.  चीन ये भी पता लगाने में सक्षम है कि आप कहां जा रहे हैं, क्या खरीद रहे हैं और आप भविष्य को लेकर क्या सपने देखते हैं. 

यानी चीन ने भारत में प्रवेश आक्रमक तरीके से तो नहीं किया है लेकिन धीरे धीरे चीन ने भारत की ज्यादातर जिंदगियों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है. हालांकि यूरोप के देशों में चीन बहुत आक्रामक रणनीति के तहत कंपनियों का अधिग्रहण करना चाहता है. इसे Hostile Take Over भी कहते हैं. 

इसलिए आपको ये समझना चाहिए कि किसी कंपनी का  Hostile Take Over कैसे किया जाता है. इसके लिए अलग अलग प्रक्रियाएं हैं..लेकिन आज हम आपको सिर्फ उन तरीकें के बारे में बताएंगे जिनका इस्तेमाल चीन कर रहा है. 

सबसे पहले चीन की कंपनियां ये देख रही हैं कि इटली, स्पेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की..किन कंपनियों की आर्थिक हालत Corona Virus की वजह से खराब हो चुकी है और जिनके शेयर के दाम काफी हद तक गिर चुके हैं. 

आंकलन करने के बाद निवेशक इन कंपनियों के Share Holders को शेयर के मौजूदा दाम से ज्यादा कीमत ऑफर करते हैं. यानी चीन के निवेशक इन कंपनियों के शेयर होल्डर्स से कह सकते हैं कि हम आपके शेयर प्रीमियम दामों पर खरीद लेंगे. लेकिन अगर ये तरीका भी काम नहीं करता तो फिर Proxy War की तकनीक अपनाई जा सकती है.

जिसके तहत कंपनी के बड़े शेयर होल्डर्स के बीच भविष्य को लेकर बेचैनी पैदा की जाती है. और धमकी और पैसों के दम पर कई बार कंपनी के बोर्ड को ही बदल दिया जाता है. इसके बाद शेयर धारकों को यकीन दिलाया जाता है कि नया बोर्ड उनके हित में काम करेगा और इसके बाद नया बोर्ड निवेश को मंजूरी दे देता है. 

चीन इस समय यूरोप की Football टीमों से लेकर Airlines और Hotels तक को खरीदने की कोशिश कर रहा है, विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के पास इस सदी का ये सबसे सुनहरा मौका है और चीन भारी Discount पर..दुनिया भर की कंपनियों को खरीदने की फिराक में है. 

Reports के मुताबिक वर्ष 2013 के बाद पहली बार चीन की कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश में भारी कमी आई है और चीन हर कीमत पर इस स्थिति को बदलना चाहता है. 

ये भी देखें-

चीन की नजरें विशेषकर रणनीतिक महत्व की कंपनियों पर हैं. उदाहरण के लिए चीन का एक सरकारी Fund भारत की भी एक बड़ी Private Energy कंपनी में 10 प्रतिशत ही हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश कर रहा है. 

लेकिन भारत समेत दुनिया के तमाम देश इस समय बहुत एहतियात बरत रहे हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक चीन को अभी अपनी कोशिशों में 10 से 20 प्रतिशत की सफलता मिल पाएगी. लेकिन भविष्य में भी चीन ऐसे मौकों का फायदा उठाता रहेगा. 




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