नई दिल्ली: भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) को लेकर अच्छे रिश्ते रहे हैं. भारत के लिए चाबहार सेंट्रल एशिया और कॉकेशस रीजन में जाने का अहम दरवाजा है. इसे विकसित करने में भारत ने हमेशा से अपनी अहम भूमिका निभाई है. इस सिलसिले में भारत अब जून महीने तक ईरान को चार क्रेन और भेजेगा. भारत की शिपिंग मिनिस्ट्री के ए़डिशनल सेकेट्री संजय बंद्योपाध्याय से मिली जानकारी के मुताबिक, दो क्रेन अगले महीने मार्च वहीं बाकी दो क्रेन उसके बाद सौपीं जाएगीं. गौरतलब है कि पिछले महीने की 31 जनवरी को भी चाबहार बंदरगाह के अधिकारियों को भारत ने 140 टन की दो मोबाइल हार्बर क्रेन सौंपी थीं.
ट्रांसिट सेंटर डेवलप पर करने पर फोकस
ईरान के साथ जारी बातचीत के तहत इस साल के जून तक चाहबार पोर्ट में 6 हाईटेक क्रेन पहुंच जाएंगी. वहीं पिछली दो क्रेन की डिलीवरी सौंपने के दौरान दोनों देशों ने ट्रांजिट सेंटर डेवलप करने में अपने-अपने सहयोग की समीक्षा की थी. ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर स्थित इस बंदरगाह को व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है.
ए़डिशनल सेकेट्री ने कहा, ‘ हम फिलहाल रेल-माउंटेड क्रेन (Rail-Mounted Crane) खरीदने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसके लिए बोली लग रही है, हालांकि अभी चाबहार भेजी गई मशीनरी और मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्टर पोर्ट संचालन की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है. लेकिन भविष्य में भारत, अफगानिस्तान और उससे आगे भी बुनियादी ढांचे को और मजबूत करेंगे.’
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भारत के लिए इसलिए अहम है ‘चाबहार’
भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास में 50 करोड़ डालर का निवेश किया है. इस बंदरगाह के जरिए पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत मध्य एशिया के देशों से माल मंगा सकता है या उन्हें भेज सकता है. साल 2016 को हुए समझौते के मुताबिक भारत इस पोर्ट पर दो बर्थ और बना रहा है.
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