भोपाल, ब्यूरो। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने दूसरी सूची कल देर रात जारी कर दी। 39 सीटों के लिए जिन प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है, उनमें से 7 सांसद, जिनमें 3 केंद्रीय मंत्री के नाम भी शामिल हैं। मुरैना की दिमनी सीट से नरेंद्र सिंह तोमर, नरसिंहपुर से प्रह्लाद पटेल और निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी बनाया गया है। इसके अलावा सांसदों में जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाए गए हैं। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर विधानसभा क्रमांक 1 से प्रत्याशी बनाया गया है। कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू को उतारा गया है। 39 उम्मीदवारों में छह महिला उम्मीदवार हैं। इसके अलावा 14 एससी-एसटी उम्मीदवार हैं। भाजपा ने दूसरी सूची में जिन 39 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है, इनमें से 36 पार्टी 2018 के चुनाव में हार गई थी। तीन सीटें पार्टी के कब्जे में आई थी- मैहर से नारायण त्रिपाठी, सीधी से केदार नाथ शुक्ला और नरसिंहपुर से जालम सिंह पटेल। हालांकि, इस पर बार तीनों के टिकट काट दिए गए हैं।




इस सूची से साबित हो रहा कि भाजपा इस चुनाव को कितनी गंभीरता से रही है और किसी भी हाल में वह यहां जीत हासिल करना चाहती है। तभी पार्टी ने केंद्रीय मंत्री और सांसदों को मैदान में उतारा है। कमजोर सीटों पर पार्टी को अपनी स्थिति खराब नजर आ रही थी। इसलिए पार्टी ने कद्दावर नेताओं को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। दूसरी सूची में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें चारों ऐसे वरिष्ठ नेताओं को टिकट दिया गया है। जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा सकते है। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और कैलाश विजयवर्गीय शामिल हैं। यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो यह माना जाना चाहिए कि प्रदेश में अगर भाजपा की सरकार बनती है तो इनमें से ही कोई न कोई मुख्यमंत्री होगा। नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी जंग में उतारने का सीधा आशय यही लगाया जा सकता है। दिग्गजों-सांसदों को मैदान में उतार पार्टी ने यह संदेश दिया है कि हमारे लिए इस बार एक चेहरा नहीं महत्व नहीं रखता है। पार्टी इस बार जीत का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। फिर चाहे उसे किसी को भी मैदान में उतारना क्यों न पड़े।
दिलचस्प है यह मुकाबला
राष्ट्रीय महासचिव कैलाश ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के सामने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि यदि पार्टी चाहेगी तो मैं छिंदवाड़ा जाकर चुनाव लड़ना चाहूंगा। लेकिन उन्हें उन्हीं के शहर के ताकतवर उम्मीदवार संजय शुक्ला के सामने उतारा गया है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि इंदौर विधानसभा-1 का चुनाव बेहद रोचक और रोमांचक हो गया है। क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार किसी मामले में एक दूसरे से कम नहीं है।
विंध्य से दो सांसद मैदान में
भाजपा ने विंध्य क्षेत्र से दो सांसदों को मैदान में उतारा है। इनमें सतना सांसद गणेश सिंह को सतना विधानसभा से टिकट दी गई है। जबकि सीधी सांसद रीति पाठक को सीधी विधानसभा सभा से टिकट दी गई है।
नारायण त्रिपाठी का कट गया टिकट
मैहर के वर्तमान विधायक नारायण त्रिपाठी का टिकट काट दिया गया है। उनकी जगह सिंधिया के खास समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी को उम्मीदवार बनाया गया है। राजनगर सीट से अरविंद पटेरिया को उम्मीदवार बनाया गया है। पटेरिया प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के बेहद करीबी माने जाते है।
केदानाथ शुक्ला का टिकट कटा
पेशाब कांड में नाम आने के बाद सीधी से केदानाथ शुक्ला का टिकट काट दिया गया है, जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। शुक्ला का सीधी में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसके अलावा कांग्रेस नेता अजय सिंह से भी उनके अच्छे संबंध है। टिकट कटने की स्थिति में वह रीति पाठक को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डॉ. अमरेश शर्मा देंगे चुनौती
लहार से भाजपा ने डॉ. अमरेश शर्मा गुड्डू को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने कांग्रेस के क्षेत्रिय उम्मीदवार के खिलाफ ब्राह्णण चेहरा उतारा हैं। लहार से नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह सात बार से चुनाव जीत रहे है। इस बार भी उनकी स्थिति मजबूत है।
महाराज सिंधिया समर्थकों को दिया मौका
इस सूची में सिंधिया समर्थकों में इमरती देवी, मोहन सिंह राठौड़, श्रीकांत चतुर्वेदी, रघुराज कंसाना, हिरेंद्र सिंह बंटी को टिकट दिया गया है। करैरा से सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव का टिकट कट गया है। 2018 में ये कांग्रेस से विधायक चुने गए थे। सिंधिया के साथ भाजपा में आए और 2020 का चुनाव प्रगीलाल से हार गए थे। इस बार इनका टिकट काट दिया गया है। भाजपा ने यहां से रमेश खटीक को प्रत्याशी बनाया है, हालांकि मुरैना से सिंधिया समर्थक रघुराज कंसाना और डबरा से इमरती देवी को टिकट मिल गया है। इसके अलावा सिंधिया के करीबी मोहन सिंह राठौर को भितरवार सीट से टिकट दिया गया है।
कमल नाथ को कमल के बंटी की टक्कर
भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ में बीजेपी ने हीरेंद्र सिंह बंटी बना को उम्मीदवार बनाया है। इनके पिता मूल सिंह विधायक रह चुके हैं। हीरेंद्र भी दिग्विजय के करीबी रहे हैं। ये डेढ़ साल पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे। अभी राघौगढ़ में दिग्विजय सिहं के बेटे जयवर्धन सिंह कांग्रेस से विधायक है।
7 पूर्व विधायक, जिन्हें मिला टिकट
- करैरा से रमेश खटीक
- कोतमा से दिलीप जायसवाल
- सिहावल से विश्वामित्र पाठक
- जुन्नारदेव से नत्थन शाह
- खिलचीपुर से हजारी लाल दांगी
- थांदला से कल सिंह भाबर
- देपालपुर से मनोज पटेल
- सैलाना से संगीता चारेल
- श्योपुर से भाजपा के पूर्व विधायक दुर्गालाल विजय
- मुरैना से रघुराज कंसाना
- सेंवढ़ा से प्रदीप अग्रवाल
- डबरा से इमरती देवी