पेशावर: पाकिस्तान में पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए जहां एक ओर पोलियो उन्मूलन योजना चलाई जा रही है, वहीं हाल ही में देश में पोलियो के नए मामले सामने आने से इस प्रकार के कार्यक्रमों पर सवाल उठ खड़ा हुआ है. समाचार पत्र डॉन के अनुसार, हाल ही में अधिसूचित टीकाकृत पोलियोवायरस टाईप 2 (वीडीपीवी2) को लेकर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगठनों द्वारा मचाए गए हो-हल्ले से देश के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है. सूत्रों का कहना है कि जहां 1999 में वायरस का स्रोत दुनिया से मिट गया है, वहीं देश में इसके लगातार सामने आते मामलों से स्वास्थ्य अधिकारी परेशान हैं.
गौरतलब है कि साल का पहला देशव्यापी पोलियो टीकाकरण अभियान पाकिस्तान में सोमवार (आज) से शुरू हो गया है. डॉन की रपट में कहा गया कि इस अभियान में लगभग 265,000 पोलियो कार्यकर्ता शामिल होंगे, जिन्हें पांच साल से कम उम्र के बच्चों के घर टीका लगाने के लिए भेजा जाएगा. पिछले माह वीडीपीवी2 के तीन मामले पेशावर और खैबर पख्तूनख्वा के खैबर व बाजौर जिले से सामने आए थे. पिछले साल इन मामलों की संख्या 22 थी, जो बाद में बढ़कर 25 हो गई है.
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान 2016 तक ओपीवी का उपयोग कर रहा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सिफारिश करते हुए कहा कि 1999 के बाद से ओपीवी से संबंधित कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. साथ ही इसने यह भी सत्यापित किया कि देश में ओपीवी की कोई भी शीशी मौजूद नहीं है. इसके बाद से इसे प्रयोग में नहीं लाया गया.
डॉन की रिपोर्ट में कहा गया कि डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के चलते अप्रैल 2016 में पी 2 को टीकाकरण कार्यक्रम से वापस लेने के बाद पाकिस्तान ने बच्चों को ट्राइबलेंट (पी 1, पी 2 और पी 3) के बजाय बिवलेंट (पी 1 और पी 3) का टीका देना शुरू किया.
सूत्रों ने कहा, “हम वीडीपीवी 2 के स्रोत को समझने में असफल रहे, चूंकि 2016 में इसे टीकाकरण से वापस ले लिया गया. डब्ल्यूएचओ ने सत्यापित किया था कि पाकिस्तान के पास स्टॉक नहीं है.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सितंबर से दिसंबर तक 17 पोलियो के मामले दर्ज किए गए, इनमें खैबर पख्तूनख्वा के नौ, गिलगित-बाल्टिस्तान और इस्लामाबाद के एक-एक मामले शामिल हैं. हालांकि, मामलों को अधिसूचित नहीं किया गया, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान पर पोलियो के मामलों को छिपाने का आरोप लगाया है.