छतरपुर, मध्य प्रदेश – विकास के वादे और सरकारी दावे अक्सर कागजों और नारों तक सिमट कर रह जाते हैं, जिसकी दर्दनाक सच्चाई छतरपुर जिले के नौगांव ब्लॉक के बड़गांव में देखने को मिली। 78 साल की एक बुजुर्ग महिला का निधन हुआ, लेकिन उनकी अंतिम यात्रा की तस्वीर ने हर किसी का दिल दहला दिया। यह तस्वीर सिर्फ एक मौत की नहीं, बल्कि विकास की सांसें रोक देने वाली हकीकत है।
गांव में सड़क न होने और लगातार हो रही बारिश के कारण, अंतिम यात्रा निकालने के लिए मजबूरन लोगों को प्लास्टिक की पॉलिथीन का सहारा लेना पड़ा। इस हृदय विदारक दृश्य में, जहां आमतौर पर चार कंधों की जरूरत होती है, वहीं कंधा देने वाले लोगों के हाथों में पॉलिथीन थी ताकि वे मृत शरीर को बारिश से बचा सकें। यह नजारा सरकार और प्रशासन के उन सभी दावों को झूठा साबित कर रहा है, जिनमें हर गांव तक विकास पहुंचने की बात कही जाती है।
यह सिर्फ बड़गांव की कहानी नहीं है, बल्कि उन तमाम ग्रामीण इलाकों की कहानी है, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं जैसे पक्की सड़क और जल निकासी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार की योजनाएं और उनके पोस्टर भले ही गांव तक पहुंच जाते हों, लेकिन जमीन पर ये सुविधाएं आज भी मिट्टी में दबी पड़ी हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अगली बारिश आने तक बड़गांव में कोई विकास होगा, या फिर यहां के लोगों को ऐसे ही मौत के बाद भी सम्मान से विदा नसीब नहीं हो पाएगी और उनके कंधों पर पॉलिथीन का बोझ बना रहेगा। यह तस्वीर हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक हमारे देश के गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहेंगे और विकास सिर्फ सरकारी फाइलों में ही दफन रहेगा।


