सूबे में औद्योगिक गतिविधियों ने भी रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है.
लॉकडाउन (Lockdown) के बाद प्रदेश में खुले रोजगार के नए अवसर, हजारों लोगों को मिली नौकरियां, उत्पादन शुरू होने के साथ ही पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था.
तैयार की थी रणनीती
कोरोना महामारी के शुरू होने के साथ ही सीएम भूपेश बघेल के निर्देशों का पालन करते हुए उद्योगों को संचालित करने के लिए रणनीति तैयार की गई थी. इस दौरान सभी जरूरी सावधानियों के साथ प्रदेश के उद्योगों में उत्पादन होता रहा है. अब अनलॉक में उद्योगों को रियायतें कुछ ज्यादा मिल गई हैं जिससे उत्पादन भी बढ़ रहा है. मार्च से जून 2020 के बीच 258 नई आद्यौगिक इकाइयों में करीब 550 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. साथ ही 3360 व्यक्तियों को रोजगार मिला है.
खूब हुआ लोहे का उत्पादनलॉकडाउन के दौरान राज्य में लौह इस्पात उद्योगों ने 27 लाख मीट्रिक टन लोहे का उत्पादन किया. साथ ही मेडिकल सामग्री के निर्माण और खाद्य आधारित इकाइयों का संचालन सुनिश्चित करवाया गया. राज्य सरकार ने तुरंत निर्णय लेते हुए सेनेटाइजर उत्पादन के लिए डिस्टलरीज को लाइसेंस दिए और पैकिंग सामग्री की सुविधा भी दी.
ये भी पढ़ें: Bihar Assembly Election: मिशन 18 TO 25 पर JDU का फोकस, Young Voters के लिए खास प्लान!
दिया गया लोन
इस दौरान बैंकों के माध्यम से दो हजार लघु और सूक्ष्म इकाइयों को करीब 36 करोड़ रुपये का लो दिया गया. वहीं राज्य सरकार ने 848 औद्योगिक इकाईयों को 103 करोड़ रुपये का अनुदान वितरित किया गया. राज्य की 282 औद्योगिक इकाइयों को स्टाम्प शुल्क से छूट दी गई. इसी तरह राज्य सरकार द्वारा 101 स्थानों पर फूडपार्क के लिए 1300 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई तथा 15 स्थानों पर 200 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरित की गई, जहां काम भी शुरू हो गया है.
सबसे पहले छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ उत्पादन
गौरतलब है कि लॉकडाउन के खत्म होने के साथ ही अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में सबसे पहले औद्योगिक इकाइयां शुरू की गईं. प्रदेश में बड़े उद्योग लॉकडाउन के दौरान भी कम क्षमता के साथ संचालित हो रहे थे. चाहे भिलाई इस्पात संयंत्र हो या फिर बाल्को या एसईसीएल हो, खदानें भी कम उत्पादन क्षमता के साथ संचालित हो रही थीं. मार्च के अंत में जो औद्योगिक इकाईयां बंद हो गई थी, वे 23 अप्रैल से संचालित होना शुरू हो गई.