नई दिल्ली: पत्रकारों के खिलाफ कथित हिंसा और उन पर दर्ज किए जा रहे झूठे मुकदमों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को लीगल नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई भिंड जिले के दो पत्रकारों, शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान, द्वारा दायर याचिका पर की गई है, जिन्होंने अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग के बाद पुलिस द्वारा कथित मारपीट और उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्हें भिंड के पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों द्वारा हिरासत में पीटा गया, जातिसूचक गालियां दी गईं और लगातार परेशान किया जा रहा है। उनकी शिकायत है कि इन धमकियों के चलते उन्हें अपना गृह नगर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल पत्रकारों को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान करने से इनकार कर दिया है, यह कहते हुए कि पहले पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों की प्रकृति जाननी आवश्यक है।
इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार, 9 जून, 2025 को होनी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।