Wednesday, July 2, 2025
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कोरोना काल के बाद दुनिया में आएगा ‘गरीबी काल’ बिजनेस

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का स्वास्थ्य पूरी तरह बिगड़ गया है. आज International Monetary Fund यानी IMF ने आशंका जताई है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था वर्ष 1930 के बाद सबसे बड़ी आर्थिक मंदी का शिकार हो सकती है. 1930 में अर्थव्यवस्था में आई महामंदी की वजह से दुनिया की GDP 15 प्रतिशत तक गिर गई थी. जबकि वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी से दुनिया की GDP को सिर्फ 1 प्रतिशत का नुकसान हुआ था. यानी 2008 में जो नुकसान हुआ था उससे 15 से 20 गुना ज्यादा बड़ा नुकसान 2020 में हो सकता है. ये ऐसा नुकसान है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. अगर आज दुनिया की GDP 15 प्रतिशत गिरी तो इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था को 2 हजार लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. इसलिए आज हम आपके भविष्य पर मंडराते इस आर्थिक खतरे का एक विश्लेषण करेंगे. 

The Great Depression
आप पिछले 16 दिनों से Lock Down में हैं और दुनियाभर के करीब 400 करोड़ लोग भी इस समय अपने घरों में कैद हैं . 101 दिन पहले जो Virus चीन से फैलना शुरू हुआ था, उसने दुनिया भर की आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लगा दिया है. International Monetary Fund यानी IMF ने कहा है कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था वर्ष 1930 के बाद महाआर्थिक मंदी में जा सकती है. 

यहां हमने महा शब्द इसलिए जोड़ा है क्योंकि आम तौर पर आर्थिक मंदी कुछ समय के बाद दूर हो जाती है जिसे Recession कहा जाता है लेकिन जब कोई आर्थिक मंदी बहुत लंबी खिंचती है तो उसे Depression कहते हैं और IMF ने कहा है कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं The Great Depression यानी महा आर्थिक मंदी के दौर में जा सकती हैं. 

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इसका एक सीधा सा अर्थ ये है कि दुनिया के करीब 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की बजाय माइनस में चली जाएगी यानी आपकी आमदनी भी बढ़ने की बजाय घटने लगेगी. 

ये बातें IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर Kristalina Geor-Gieva ने कही हैं. क्रिस्टेलिना के मुताबिक इसका सबसे ज्यादा असर अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों पर पड़ेगा. IMF के मुताबिक निवेशक Corona Virus फैलने के बाद से इन देशों से करीब 7 लाख करोड़ रुपए निकाल चुके हैं. 

यानी विकासशील देशों के लिए स्थितियां ज्यादा खराब होने वाली हैं, लेकिन इस महामंदी की तुलना 1930 से क्यों की जा रही है..ये भी आपको समझना चाहिए. 

1930 के दौर से तुलना क्‍यों?
1930 में जो आर्थिक मंदी आई थी, उसे आधुनिक युग की सबसे बड़ी और गंभीर आर्थिक मंदी माना जाता है. इस आर्थिक मंदी का दौर 1930 से 1939 तक चला था.  इसकी शुरुआत 1929 के अक्टूबर महीने में Stock Market Crash से हुई थी. 1933 आते-आते अमेरिका के डेढ़ करोड़ लोग बेरोजगार हो गए थे और अमेरिका के आधे से ज्यादा बैंक Fail हो गए थे. तब अमेरिका की आबादी करीब 12 करोड़ थी यानी तब अमेरिका की 10 प्रतिशत की आबादी के पास रोजगार नहीं था. 

1930 से 1932 के बीच दुनिया की GDP 15 प्रतिशत तक गिर गई थी.  जबकि वर्ष 2008 में जो आर्थिक मंदी आई थी..तब भी दुनिया की GDP सिर्फ 1 प्रतिशत गिरी थी.  यानी आज अर्थव्यवस्था पर खतरा 2008 के मुकाबले भी 15 से 20 गुना ज्यादा है. आज अगर दुनिया की अर्थव्यवस्था 15 प्रतिशत गिरी तो दुनिया को 2 हजार लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा. 

1930 की आर्थिक मंदी के दौरान अमेरिका का औद्योगिक उत्पादन 46 प्रतिशत तक गिर गया था. जबकि  ब्रिटेन का औद्योगिक उत्पादन 23 प्रतिशत , फ्रांस का 24 प्रतिशत और जर्मनी का औद्योगिक उत्पादन 41 प्रतिशत तक गिर गया था. अमेरिका में बेरोजगारी 607 प्रतिशत, ब्रिटेन में 129 प्रतिशत, फ्रांस में 214 प्रतिशत और जर्मनी में 232 प्रतिशत तक बढ़ गई थी. 

हालांकि इतिहासकारों के मुताबिक उस समय भारत पर इस मंदी का ज्यादा असर नहीं पड़ा था. भारत में सिर्फ जूट और कोयला उद्योग इससे प्रभावित हुए थे. 

लेकिन 90 वर्षों के बाद भारत के लिए ऐसी किसी भी Global आर्थिक मंदी से बचना मुश्किल होगा, अगर ये मंदी आई तो भारत में भी बड़े पैमाने पर नुकसान होगा, लोगों की नौकरियां जा सकती हैं और आपको मिलने वाली तनख्वाह भी काटी जा सकती है.

ऑक्‍सफैम की रिपोर्ट
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है. और अब दुनिया, वैसी नहीं रह जाएगी जैसी कोरोना संक्रमण की शुरुआत से पहले थी. इसका सबसे बड़ा और बुरा असर उन गरीब देशों पर पड़ेगा जो विदेशी मदद पर निर्भर हैं. वैश्विक गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य पर काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था, Oxfam International ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि Lockdown, दुनियाभर में गरीबी को रोकने की लड़ाई को एक दशक पीछे ले जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण का कहर झेल रहे गरीब देशों को Bailout Package मुहैया नहीं करवाए गए तो दुनियाभर में 50 करोड़ से ज्यादा नए गरीब जुड़ जाएंगे. 

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में इस वक्त गरीबों की आबादी 300 करोड़ से ज्यादा है जिसमें कोरोना महामारी और Lockdown की वजह से करीब 20 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा. और जब तक दुनिया इस महामारी से उबरेगी, तब तक दुनिया की 780 करोड़ में से करीब आधी आबादी, गरीबी के दलदल में फंस चुकी होगी.

इस महामारी का सबसे ज्यादा असर Sub-Sahara अफ्रीकी देशों पर पड़ेगा जहां गरीबी रोकने की लड़ाई 30 वर्ष पीछे चली जाएगी. 

Oxfam International की ये स्टडी रिपोर्ट, परेशान करने वाली है लेकिन संयुक्त राष्ट्र के International Labour Organisation ने दुनियाभर में Lockdown की वजह से जाने वाली नौकरियों को लेकर जो चेतावनी जारी की है वो और भी ज्यादा गंभीर है.  इस रिपोर्ट में कहा गया है कि Lockdown की वजह से अकेले भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ श्रमिकों के गरीबी में फंसने की आशंका है. 

दुनियाभर में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले दो सौ करोड़ लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. इतना ही नहीं, दुनियाभर में साढ़े 19 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी यानी Full Time Job छूट सकती है. 

ये आंकड़े बेहद डरावने हैं, और इस बात का इशारा करते हैं कि कोरोना वायरस का कहर आज नहीं तो कल, खत्म हो जाएगा लेकिन दुनिया, गरीबी के खिलाफ लड़ाई में बहुत ज्यादा पिछड़ जाएगी. 

 




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