महासमुन्द : वर्तमान में मछली की मांग बाजार में काफी ज्यादा है, जिसको देखते हुए इनको बेचने में भी अधिक दिक़्क़तों का सामना नही करना पड़ता है. इसके अलावा मछली पालन उद्योग की शुरुआत करने में अधिक पूंजी की भी जरूरत नही होती है. यह उद्योग कम खर्च में अधिक उत्पादन देने वाला है. इसकी शुरुआत छोटे और बड़े दोनों पैमाने पर की जा सकती है.
घर पर मछली पालन
घर पर मछली पालन के लिए कम भूमि की जरूरत होती है. इस विधि से मछली पालन छोटे पैमाने पर उन जगहों पर किया जाता है, जहां पास में कोई प्राकृतिक या उचित स्थान नहीं होता. इस विधि में मछली पालन घर पर प्लास्टिक टैंक लगाकर या घर पर जमीन में छोटे तालाब बनाकर उसमें इसका व्यापार शुरू किया जाता है, जिसे खुद एक व्यक्ति आसानी से चला सकता है. इसको शुरू करने में लगभग 30 से 40 हजार का खर्च आता है. जबकि उत्पादन से प्राप्त होने वाला लाभ काफी अच्छा होता है. इस विधि से किसान भाई एक हजार के आसपास मछली पालना कर एक लाख तक की कमाई कर सकता है.
बड़े तालाब बनाकर
बड़े तालाब बनवाकर इसका व्यवसाय बड़े पैमाने पर किया जाता है। बड़े पैमाने पर इसको शुरू करने के तरीके को सबसे बेहतर माना जाता है. क्योंकि इस तरीके से इसका व्यावसाय करने पर बहुत ही कम खर्च में बार बार अधिक उत्पादन प्राप्त हो जाता है. इस तरीके से व्यवसाय करने में शुरुआत में रखरखाव की चीजों पर एक बार ही खर्च किया जाता हैं. उसके बाद इससे लगातार मुनाफा ही कमाया जाता है और इस तरीके से मछलियों की देखभाल उचित तरीके से की जा सकती है, जिससे मछलियों में नुक्सान भी काफी कम देखने को मिलता है.
मछलियों का चारा और दवाई
मछलियों को जिन्दा रहने और अच्छे से विकास करने के लिए खाने की जरूरत होती है, जिसकी जरूरत सामान्य रूप से सभी प्राणियों को होती है, लेकिन मछलियों की अलग अलग प्रजातियों के लिए खाने की जरूरत अलग अलग होती है. जो बाजार में मुर्गी के दाने की तरह मिलता हैं जिसे आसानी से बाजार से खरीदकर मछलियों को दिया जा सकता है.
इन मछलियों का करें चयन…
कतला
कतला मछली सबसे तेजी से विकास करने वाली मछली है, जिसका पालन उत्तर भारत में अधिक किया जाता है. यह अपने भोजन के रूप में सूक्ष्म शैवाल, कीड़ों के लार्वा, जलीय घास पात और सड़ी गली वनस्पति को खाती है, जिससे इसके पालन में खर्च कम आता है, जबकि बाजार में इसका भाव काफी अच्छा मिलता है और यह एक साल में ही डेढ़ किलो से ज्यादा वजन की हो जाती है. इसका वजन अधिकतम 60 किलो तक पाया जा सकता है.
राहू
इस प्रजाति की मछली भी काफी जल्दी बड़ी हो जाती हैं. इसके जीव अपने भोजन के रूप में मुख्य रूप से पानी में जमने वाली खाई को खाते हैं. इसके अलावा ये पानी के पौधों की सड़ी हुई पत्तियों और अन्य घास पात को खाती हैं. इसके जीव एक साल में ही एक फिट से अधिक लम्बाई के हो जाते हैं, जिनका वजन एक किलो से ज्यादा पाया जाता है. इसका बाजार भाव काफी अच्छा मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 22:32 IST
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