Friday, March 29, 2024
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Sri Lanka trapped in Chinese debt trap, asked again for 2.2 billion dollar loan | श्रीलंका फिर से चीन की शरण में, मांगा 2.2 बिलियन डॉलर का लोन

कोलंबो: श्रीलंका एक बार फिर से चीन की शरण में है. श्रीलंका ने चीनी बैंक से 2.2 बिलियन डॉलर का लोन मांगा है. ताकि विदेशी मुद्रा भंडार के स्तर को बरकरार रखा जा सके. श्रीलंका के मनी एंड कैपिटल मार्केट मिनिस्टर निवार्ड कैबराल ने कहा कि श्रीलंका सरकार को भरोसा है कि वो चीन के केंद्रीय बैंक के साथ 1.5 बिलियन डॉलर की मनी स्वैपिंग की डील को फाइनल कर लेगी. 

श्रीलंका सरकार का बयान

श्रीलंका सरकार के मंत्री निवार्ड कैबराल कहा कि दो सप्ताह में सरकार सबकुछ फाइनल कर लेगी. कोलंबो में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस फंड का इस्तेमाल विदेशी मुद्रा की कमी की जरूरतों को पूरा करने में करेगी.  आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 4.8 बिलियन डॉलर रह गया है, जो सितंबर 2009 में 4.2 बिलियन डॉलर की स्थिति के करीब पहुंच रहा है. 

चीनी कर्ज के मकड़जाल में फंसता जा रहा श्रीलंका

श्रीलंका (Sri Lanka) सरकार के अधिकारियों के मुताकि श्रीलंका सरकार चाइना डेवलपमेंट बैंक से 700 मिलियन डॉलर के लोन की बातचीत कर रही है, जिसमें से 200 मिलियन डॉलर के बराबर की रकम चीनी मुद्रा में होगी. बता दें कि महिंद्रा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान साल 2005-2015 के बीच श्रीलंका सरकार ने कई बिलियन डॉलर का कर्ज चीन से लिया और उसे महंगे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश दिया. जिसकी वजह से अब श्रीलंकाई सरकार पर चीन का कर्ज बहुत ज्यादा बढ़ चुका है. श्रीलंका पर चीनी कर्ज के बढ़ते बोझ की वजह से पश्चिमी देशों और भारत सरकार चिंता में हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि श्रीलंका पूरी तरह से चीनी कर्ज के मकड़जाल में फंस रहा है. 

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फिर से पावर में लौटे महिंद्रा राजपक्षे

महिंद्र राजपक्षे ने प्रधानमंत्री के तौर पर श्रीलंका में साल 2019 वापसी की है, और उनके भाई गोटाबाया राजपक्षे राष्ट्रपति हैं. बता दें कि श्रीलंका सरकार को साल 2017 में अपने हंबनटोटा पोर्ट को चीनी कंपनी के हाथों 99 साल की लीज पर सौंपना पड़ा था, क्योंकि सरकार 1.4 बिलियन डॉलर का कर्ज चुका नहीं पाई थी, जो चीन (China) से कर्ज के तौर पर ली गई थी. पिछले साल दुनिया की शीर्ष रेटिंग एजेंसियों ने श्रीलंका की कर्ज लेने की क्षमता को डाउनग्रेड कर दिया था. क्योंकि कोलंबो अब कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है.




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