छतरपुर। पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के महोबा शहर में रविवार की सुबह एक दुधमुंहे बच्चे के हाथ अपनी मां के मंगलसूत्र का पैंडल लग गया, जिसे बच्चे ने खेलते-खेलते निगल लिया। मंगलसूत्र का पैंडल बच्चे की आहार नाल में जाकर फंस गया, जिसके बाद उसे खांसी आने लगी। जब परिजनों का ध्यान बच्चे की ओर गया तो उनके हाथ-पैर फूल गए और वे बच्चे को लेकर छतरपुर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां बच्चों के गले में फंसी चीजों को बाहर निकालने की कला में माहिर डॉ. मनोज चौधरी ने सूझबूझ दिखाते हुए कुछ ही समय में बच्चे के गले से पैंडल को बाहर निकाल दिया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक महोबा निवासी राजू अहिरवार का 9 माह का बेटा आर्यांश अहिरवार रविवार की सुबह घर में खेल रहा था, इसी दौरान बच्चे को अपनी मां के मंगलसूत्र का पैंडल मिल गया। इसी पैंडल से खेलते-खेलते आर्यांश ने उसे निगल लिया, जो सीधा जाकर उसकी आहार नाल में फंस गया। चूंकि बच्चे के परिजनों को छतरपुर के जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. मनोज चौधरी के बारे में जानकारी थी इसलिए वे बिना समय गंवाए बच्चे को सीधे छतरपुर जिला अस्पताल लाए। डॉ. मनोज चौधरी ने बताया कि आमतौर पर बच्चों के गले में सिक्के फंसने की घटनाएं सामने आती हैं, यह पहला मौका था जब इतने छोटे बच्चे के गले में मंगलसूत्र का पैंडल फंसा हो। डॉ. चौधरी ने बताया कि चूंकि पैंडल के कोने नुकीले थे जिस कारण से उसे निकालने में कुछ आधुनिक उपकरणों की मदद लेनी पड़ी। डॉ. मनोज चौधरी ने बताया कि जिन मशीनों की मदद से पैंडल को बाहर निकाला गया है उनके नाम लैरिंगो स्कोप और सीआर्म है। सीआर्म मशीन एक प्रकार की एक्स-रे मशीन है, जिसकी मदद से डॉ. चौधरी ने पहले यह पता लगाया कि पैंडल आहार नाल में कहां फंसा है, इसके बाद लैरिंगो स्कोप की मदद से सावधानीपूर्वक पैंडल को धीरे-धीरे गले से बाहर निकाला गया। पैंडल बाहर निकलने के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। बच्चे के परिजनों ने डॉ. चौधरी का आभार जताया है। उल्लेखनीय है कि डॉ. मनोज चौधरी इससे पहले दो सैकड़ा से अधिक बच्चों के गले में फंसे सिक्कों को बाहर निकाल चुके हैं, जिसके लिए उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छतरपुर के पूर्व कलेक्टर संदीप जी आर द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।