Friday, April 26, 2024
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मालदीव ने कहा- सताए अल्पसंख्यकों के लिए भारत महफूज, नागरिकता कानून उनका आंतरिक मसला

नई दिल्ली. मालदीव की मौजूदा सरकार में सर्वोच्च नेता और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा है कि नागरिकता संसोधन कानून पूरी तरह भारत का आंतरिक मसला है। नशीद ने शुक्रवार को कहा कि भारत दूसरे देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। नशीद ने खुद अपना उदाहरण देते हुए कहा कि जब मालदीव में अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो भारतीय उच्चायोगही था, जिसने उन्हेंशरण दी थी।

नशीद ने कहा, “धार्मिक आधार पर उत्पीड़न गलत है और भारत ने हमेशा उन्हें शरण दी है, जिनके साथ जुल्म हुए हैं। जब मुझे गिरफ्तार करने की कोशिश की गई, तो भारत सरकार ने मेरी मदद की। वे मुझे भारत भी ले जाना चाहते थे। धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों का सम्मान भारत के आधारभूत विचारों में शामिल है।

‘भारतीय लोकतंत्र पर मुझे पूरा भरोसा’
मालदीव की संसद के मौजूदा स्पीकर मोहम्मद नशीद ने आगे कहा, “भारतीय लोकतंत्र पर मुझे पूरा भरोसा है। वहां जो कुछ भी हो रहा है, ज्यादातर लोगों को वही चाहिए होगा। यह भारत का आंतरिक मुद्दा है।

‘जाकिर नाइक जैसे नफरत फैलाने वाले को मालदीव नहीं आने दिया’
नशीद ने बताया कि भारत से भागे हुए इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक ने कुछ समय पहले मालदीव आने की कोशिश की थी। लेकिन हमने उसे देश में आने नहीं दिया। हमें उन लोगों से कोई दिक्कत नहीं, अच्छी तरह से इस्लाम का पालन करना चाहते हैं, लेकिन अगर कोई नफरत फैलाना चाहता है, तो हम उसे ऐसा नहीं करने देंगे।”

‘चीन ने हमें अपने कर्ज के जाल में फंसाया’
लोकसभा अध्यक्षओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापतिवेंकैया नायडू के न्योते पर भारत आए नशीद ने चीन के कर्ज के जाल के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि चीन का निवेश विकास के लिए दी जाने वाली मदद की जगह कर्ज के जाल की तरह है। हम अब इस जाल से निकलने में असहाय महसूस कर रहा हैं। नशीद ने बताया कि चीन ने कई प्रोजेक्ट की कीमतें जानबूझकर बढ़ा दीं, ताकि जब बिजनेस प्लान फेल हों, तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाए।

उन्होंने बताया कि मालदीव के लिए चीन का भारी-भरकम कर्ज चुकाना एक चुनौती है। लेकिन हम पूरा कर्ज उतारेंगे। यह दुख और चिंता की बात है कि चीन जैसे देश कर्ज को दूसरे देशों पर बोझ की तरह इस्तेमाल करते हैं। चीन ने बिना एक भी गोली चलाए ईस्ट इंडिया कंपनी के मुकाबले काफी बड़े भूभाग पर कब्जा किया है। हमें दक्षिण एशिया को 18वीं सदी के रास्ते पर जाने से रोकना होगा।

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