Tuesday, May 21, 2024
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बसपा विधायक रामबाई के पलटा लेने का राज क्या है…

कहीं मंत्री पद कि लालसा में तो नही बदली आस्था


राजनैतिक महत्वाकांक्षा की छलांग का मौका है मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव

बीजेपी कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं के साथ बसपा विधायक राम बाई और अन्य

धीरज चतुर्वेदी

सियासी जमात में दिल से दल जुडने कि राजनीति का लगभग अंत हो चुका है। मौका देख छलांग लगाने का युग शुरू हो चुका है। मध्यप्रदेश का राज्यसभा का चुनाव तो वह बानगी बन चुका है जिसमें इस चुनाव के गणित के फेरे में कांग्रेस को सत्ता तक गवांनी पड़ी। कांग्रेस के 22 विधायक तो ठीक ही है लेकिन बसपा, सपा और निर्दलियो की जमात ने भी सत्ता पलटने का खेल शुरू होते ही ताकतवर के सामने अपनी छलांग लगा दी। यानि मौके पर सिद्धांत-मर्यादा-नैतिकता और जनता के विश्वास को कुचल दिया।

क्या दिल के डावांडोल होने के पीछे सत्ता में मलाई का रसास्वादन है या और भी कोई सियासी महत्वाकांक्षा है जो मंत्री बनने की लालसा से ओतप्रोत है। इसे समझने के लिये जिस तरह आजकल कोरोना संक्रमित की हिस्ट्री तलाशी जाती है, ठीक उसी तरह इन पलटू विधायको कि हिस्ट्री का भी गहन अध्यन करना होगा।
कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने के बाद अब भाजपा की गोद में झूल रही मध्यप्रदेश कि सबसे चर्चित विधायको में दमोह जिले के पथरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामबाई है। रामबाई का पूरा सियासी कार्यकाल ही विवादो में रहकर सुर्खियां बनता रहा है। जब मप्र में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को बेदखल करने आपरेशन लोट्स का प्रथम आक्रमण भाजपा ने रचा था तब विधायक रामबाई उसमें शामिल थी। गुरूग्राम के होटल से 5 मार्च को रामबाई को दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी अपने साथ लाने में सफल हुये थे।

कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को समर्थन करने वाली रामबाई का यह पहला झटका था। जिसमें छतरपुर जिले के बिजावर से सपा विधायक राजेश शुक्ला, बुराहनपुर से निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा भी मौजूद थे। आपरेशन लोटस के प्रथम कदम के फलाप होने के बाद भाजपा का प्रयास कम नही हुआ। उसने दूसरा झटका इतना तेज दिया कि कांग्रेस की सरकार ही पलट गई। कांग्रेस को उम्मीद थी कि विधानसभा में फलोर टेस्ट में विधायक रामबाई, राजेश शुक्ला और कुछ भाजपा के बागियो की दम पर वह अपनी सत्ता कि लाज बचाने में कामयाब हो जायेगी। यह सपना बनकर रह गया जब पता चला कि जो अपने थे वे अब सभी पराये हो चुके है। जिस रामबाई पर कांग्रेस का अतिविश्वास रहा था। उन्होने ऐन वक्त दगा दे दिया।

आखिर क्या कारण था कि विधायक रामबाई पलटी मार गई। इसके पीछे के रहस्य का खुलासा तब हुआ जब भाजपा मध्यप्रदेश कि सत्ता पर काबिज हो गई और विधायक रामबाई के दिल कि बात उनके मुंह पर आते हुये उनका एक वीडियो वायरल हो गया। 18 अप्रेल 2020 को रामबाई ने किसी खबरिया को एक साक्षात्कार दिया। जिसमें उन्होने साफ कह दिया कि उन्हे मंत्री बनाने भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व के स्तंभ केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और नरेन्द्रसिंह तोमर सहित शिवराजसिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा और पूर्व गृह मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने आश्वासन दिया है। इन सभी के बीच मुझे मंत्री बनाने कि बात हुई जिसका मुझे पूरा विश्वास है।

विधायक रामबाई के बयान को सियासी नजर से देखा जाये तो यह साफ होता है कि रामबाई ने कांग्रेस को झटका अपनी मंत्री बनने की राजनैतिक महत्वाकांक्षा के कारण दिया। एक प्रकार से यह भाजपा से सौदा था जो विधायक के बयान से साफ नजर आता है। वैसे कांग्रेस कार्यकाल में समर्थन देने के वक्त भी खबरे आती रही कि रामबाई कि मंत्री बनने की लालसा उछाल मार रही है। कांग्रेस में उन्हे मंत्री पद देने कि कोई शर्त नही थी जिसे स्वयं रामबाई ने भी स्वीकार किया है। राजनैतिक पंडितो का मानना है कि जब भाजपा को रामबाई के समर्थन कि जरूरत हुई तो रामबाई ने भी अपनी मंत्री बनने की शर्त को सामने रखा और उसे भाजपा के सभी ताकतवर नेताओ ने स्वीकार भी कर लिया।

माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव में विधायक रामबाई भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगी। गुरूवार को उन्होने भोपाल भाजपा कार्यालय में जाकर मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओ से मुलाकात भी की। राज्यसभा चुनाव सियासी सौदेबाजी में महत्वकांक्षाओ को पूरा करने का मौका साबित हो रहा है। सियासी उछलकूद भी इसी का एक हिस्सा है। इसी तरह राजेश शुकला कि इच्छा भी वहीँ मंत्री पद है। विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा ने तो सरकार कि उठापठक के समय ही खुद को गृह मंत्री घोषित कर दिया था। यानि मंत्री पद पाने कि चुलबुलाहट मे उनका दिल भी कूद रहा है। अब देखना है कि विधायक रामबाई मंत्री सहित मंत्री बनने कि आस रखने वाले गैर भाजपाई कि क्या इच्छाएं पूरी होंगी या फिर इस्तमाल होने के बाद यह फिर उस चौराहे पर खड़े होंगे जो नये सियासी गुल कि पैतरेबाजी कि सियासत होंगी।

अपराध से गहरा नाता है विधायक रामबाई और उनके परिवार का

मात्र कक्षा चौथी पास विधायक रामबाई का राजनैतिक सफर काफी खतरनाक रहा है। विधानसभा चुनाव 2018 में नामांकन में प्रस्तुत हलफनामे के अनुसार उन पर 5 आपराधिक मामले दर्ज है। जिसमें हरिजन एक्ट का अपराध है। उनके पति गोविन्दसिंह पर विभिन्न थानो के रोजनामचो में 17 अपराध दर्ज है। जिसमें दमोह जिले के चार थानो में 16 और जबलपुर क्षेत्र के थाने में एक अपराध पंजीबद्ध हुआ है। विधायक पति गोविन्द सिंह पर हत्या, हत्या के प्रयास, महिलाओ को बहलाफुसलाकर ले जाना, लूट, डकैती की योजना बनाने और अवैध हथियार रखने जैसे जघन्य और गंभीर अपराध दर्ज है। पिछले साल बसपा छोडकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वाले देवेन्द्र चौरसिया कि दमोह जिले के ग्राम हटा में हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में विधायक रामबाई के परिवार का हाथ होने का आरोप है। यहां तक कि विधायक पति, देवर, भतीजा और भाई सहित अन्य के खिलाफ नामजद रिपोर्ट की गई थी। इस मामले में पति गोविन्दसिंह पर 25 हजार का ईनाम भी घोषित किया गया था। बाद में जब पुलिस ने चार्जशीट पेश कि तो गोविन्द्रसिंह को क्लीनचिट दे दी। गोविन्द सिंह को आरोपी बनाने के लिये मृतक के पुत्र सोमेश ने हाईकोर्ट की शरण ली। इस हत्याकांड में रामबाई के परिवार के अन्य सदस्य जेल में है। विधायक रामबाई कि पारिवारिक पृष्ठभूमि दर्शाती है कि उनका परिवार का रिकार्ड आपराधिक है।

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