भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में इस बार हुई रिकॉर्ड वोटिंग के बाद हर तरफ यह बातें हो रही हैं कि आखिर मध्य प्रदेश में किसकी सरकार बनने जा रही है। चूंकि निर्वाचन आयोग ने 30 नवंबर तक एक्जिट पोल पर भी प्रतिबंध लगाया है, ऐसे में जनता के पास कयास लगाने के और कुछ नहीं बचा है। प्रदेश की जनता 4 दिसंबर के इंतजार में बैठी है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक अपने—अपने विश्लेषण करते दिखाई दे रहे हैं। दिलचस्प आंकड़ा यह है कि प्रदेश में रह चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत लगातार बढ़ा है। 76.22 फीसदी वोटिंग से भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमे खुश नजर आ रहे हैं। लेकिन नेताओं को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 75.63 फीसदी वोटिंग हुई थी। उस समय कांग्रेस की सरकार बनी थी। हालांकि पंद्रह महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेने से पुन: भाजपा में सत्ता काबिज हो गई थी। इस बार मध्य प्रदेश में 76.22 फीसदी वोटिंग हुई है। यह पिछले चुनाव से अधिक है। इस बार महिलाओं ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। भाजपा इसे लेकर खासी उत्साहित है। उधर कांग्रेस बंपर वोटिंग को सत्ता परिवर्तन का संकेत मान रही है। 2018 में मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे अधिक 75.63 फीसदी वोटिंग हुई थी। चुनाव में भाजपा ने 109 और कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल की थी। इस बार करीब आधा फीसदी ज्यादा मतदान किसका जनमत बनाने की ओर इशारा कर रहा है? यह बात अब विश्लेषण का विषय बन गई है। मध्य प्रदेश की राजनीति में ऐसा पहली बार हो रहा है, जबकि जनता यह तय नहीं कर पा रही है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। लोगों का लगने लगा है कि कहीं साल 2018 में आए परिणाम इस बार भी न दोहराये जाएं, जबकि किसी भी दल को बहुमत न मिले। वहीं, कुछ लोगों कहना है कि कहीं भाजपा, कांग्रेस से ज्यादा सीटें न हासिल कर ले?
मध्य प्रदेश में किसकी बनेगी सरकार, भाजपा के सिर सजेगा ताज या कांग्रेस की है दरकार
![Central Desk Incharge, Front Page News Editing, News writing and Desk coordination. Central Desk Incharge, Front Page News Editing, News writing and Desk coordination.](https://www.no2politics.com/wp-content/uploads/2023/11/Kamal-Shiv.jpg)