Saturday, April 20, 2024
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ujjayi pranayama benefits: थायराइड से छुटकारा पाने के लिए बेहद फायदेमंद है उज्जायी प्राणायाम, लंबी आयु और सेहत भी रहती है बरकरार – yoga for thyroid ujjayi pranayama ocean breath yoga with video in hindi

इस लेख में हम ‘उज्जायी प्राणायाम’ के संबंध में उज्जायी प्राणायाम के फायदे एवं प्राणायाम के दौरान बरती जाने वाली विभिन्न प्रकार की सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करवाया है। उज्जायी प्राणायाम उन प्राणायाम में से एक है, जिसे गले की थायराइड समस्या से निदान पाने के लिए किया जाता है। इस प्राणायाम को मन एवं तन की शांति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

संस्कृत शब्द उज्जयी प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ ‘विजयी’ होता है। यह नाम दो शब्दों पर रखा गया है: ‘उद्’ और ‘जी। ‘जी’ का अर्थ होता है ‘जितना’ या फिर ‘लड़कर हासिल करना’ और ‘उद् का अर्थ ‘बंधन’ होता है। अर्थात् हम यह समझ सकते है कि यह प्राणायाम हमे सभी बंधनों से मुक्त कर देता है और एक ताज़गी का अनुभव करता है। ‘उज्जायी प्राणायाम’ का मतलब भी वह प्रणायाम होता है, जो हमें सभी बंधनों से स्वतंत्र करता है।

​उज्जायी प्रणायाम करने के फायदे (Benefits of Ujjayi Pranayama) :-

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  • उज्जायी प्रणायाम मन को शांति प्रदान करता है तथा शरीर में वाइब्रेशन उत्पन्न करता है। जिससे हमे एक नई ऊर्जा का अनुभव होता है।
  • इस प्राणायाम का उपयोग चिकित्सा में तंत्रिका तंत्र को ठीक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • प्राणायाम तो हमें गहरी शांति का अनुभव कर आते हैं उसी प्रकार यह प्राणायाम भी आत्मिक स्तर पर गहरा प्रभाव डालता है।
  • इस प्राणायाम को करने से अनिद्रा जैसी बीमारियां स्वता ही दूर हो जाती है और इसका लाभ लेने के लिए इसे सोने से पहले शवासन में इसका अभ्यास करें।
  • अपने स्वार्थ को रोके बिना और किसी भी बंधन में बंधे बिना अगर हम उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो यह हमारे हृदय की गति को नियंत्रित कर धीमी कर देता है। जिसके कारण हमें उच्च रक्तचाप जैसी बीमारिया कभी नहीं होती है।
  • यह प्राणायाम द्रव्य धारिता को नियंत्रित करता है एवं शरीर से धातु विकारों को नष्ट करता है। जैसे :- रक्त, हड्डी, मजा, त्वचा, वीर्य एवम मांस इत्यादि।

​उज्जायी प्राणायाम करने के तरीके (Ways to perform Ujjaya Pranayama) :-

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प्रत्येक प्राणायाम को करने की अपनी एक सरल और जटिल विधि होती है, जिसमें प्राणायाम करने से हमें अत्यंत लाभ मिलता है और हमारा शरीर भी स्वस्थ एवं निरोग रहता है। उज्जायी प्राणायाम करने के तरीके निम्नलिखित हैं-

  1. किसी भी आरामदायक आसन पर बैठ जाएं और अपने शरीर को शांत कर ले ताकि इस आसन का पूरा लाभ मिल सके।
  2. अपनी श्वास लेने की गति को निरंतर रखें एवं समान रूप से लेते रहें।
  3. सामान आसन में बैठने के पश्चात अपने ध्यान को अपने गले पर केंद्रित कर ध्यान लगावे और अपने विचारों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें क्योंकि प्राणायाम के दौरान हमारे विचार भी अनियंत्रित होकर हमारे दिमाग पर उपजने लगते हैं और ध्यान लगाने की क्षमता को बाधित करते रहते हैं।
  4. ध्यान केंद्रित करने के थोड़ी देर बाद ऐसा अनुभव करें या फिर सोचे की श्वास गले से गुजर रहा है और फिर लौट रहा है और यह क्रिया निरंतर चल रही है।
  5. जब आपका ध्यान पूरी तरह केंद्रित हो जाए तब आप अपनी श्वास की गति को धीमी करें और साथ ही साथ कंठ द्वार को भी संकुचित करने का प्रयास करें। आपकी ऐसा करते ही श्वास आपके गले से आने-जाने की आवाज सुनाई देने लगेगी।
  6. अब आपकी स्वास लंबी एवं गहरी होनी चाहिए।
  7. बाएं और दाएं दोनों नाकों के माध्यम से श्वास लेना एक भास्त्रिका प्राणायाम होता है।
  8. यह प्राणायाम 10 से 20 मिनट तक करें।
  9. आप इसे खड़े होकर या लेट कर भी कर सकते हैं।

​उज्जायी प्राणायाम करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां

प्रत्येक आसन व प्राणायाम को विभिन्न प्रकार की सावधानियां से करनी चाहिए क्योंकि अगर आप सावधानि नहीं बरतेंगे तो आपके शरीर की कोई नस खींच सकती है जो आपको पीड़ा पहुंचाएगी। अतः उज्जायी प्राणायाम करने के दौरान एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

अगर आप हृदय रोग के मरीज है तो आप इस प्राणायाम को श्वास रोके बिना कर सकते हैं और तो और आप इसमें किसी भी बंद या फिर बंधन का उपयोग ना करें। क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य को लाभ की जगह हानि भी पहुंचा सकता है। इसीलिए आप सतर्क होकर इस प्राणायाम का अभ्यास करें।

उज्जायी प्राणायाम करने का तरीका

उज्जायी प्राणायाम करने का तरीका


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