मरीजों की मदद करने कार को बनाया एंबुलेंस.
कोरोना (Corona) महामारी की ऐसी मुश्किल घड़ी जहां कई अपने ही दामन छोड़कर जा रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) के 2 युवाओं ने मानवता की नयी मिसाल पेश की है.
रविन्द्र सिंह क्षत्री ने बताया कि जब अचानक से कोरोना संक्रमितों के आंकड़े बढ़े तब मरीजों को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस की कमी होने लगी और ऐसे समय में उन्होने पर्सनल कार को ही एंबुलेंस में बदलकर मरीजों को लाने ले जाने की ठानी. इसके लिए सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की जिसके बाद उनके ही एक दोस्त प्रमोद साहू ने अपनी कार मरीजों को लाने ले जाने के लिए दे दी और तभी से उस कार का उपयोग वे कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने, सिटी स्कैन के लिए ले जाने के लिए कर रहे हैं.
ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था
कार में ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गयी है. साथ ही अन्य जरूरी उपकरण भी कार में ही रखे हुए हैं. रविन्द्र का कहना है कि सुबह से लेकर देर रात तक लगातार कॉल उनके पास आते हैं और वो खुद अरविंद के साथ मिलकर मरीजों को लाने ले जाने का काम कर रहे हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है जब सुबह से रात और रात से दिन निकल जाता है और टाइम का पता ही नहीं चलता. वहीं रविन्द्र के साथ इस नेक काम में जुड़े अरविंद सोनवानी का कहना है कि एंबुलेंस नहीं पहुंचने की वजह से उन्होने अपने दोस्त की मां को दम तोड़ते हुए देखा और उसके बाद उन्होने तय कर लिया कि वे कोशिश करेंगे कि किसी दूसरे के साथ ऐसा ना हो और इसलिए वे रविन्द्र के साथ जुड़ गये और कोरोना काल में मरीजों की मदद कर रहे हैं. मदद को भी चाहिए मदद
ऐसे मरीज जिन्हें आर्थिक कारणों से बेहतर इलाज नहीं मिल पाता उन लोंगो के लिए रविन्द्र, सुमीत फाउंडेशन के जरिए इलाज कराते हैं और अब तक हजारों लोगों के इलाज के साथ ही कई दिव्यांगों को उपकरण भी दे चुके हैं, लेकिन अब रविन्द्र चाहते हैं कि वे एंबुलेंस की परमानेंट सुविधा लोगों को मुफ्त में दे सकें इसलिए ऐसे समय में वे आम लोगों से सहयोग की अपील करते हैं फिलहाल रविन्द्र ने 2 लाख रू. एंबुलेंस के लिए जमा कर लिये हैं, लेकिन बाकी राशि की अब भी दरकार है ताकी वे एंबुलेंस खरीद सकें और जरूरतमंद मरीजों की सेवा कर सकें.